ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात्.. अर्थ Om Purnamadah Purnamidam... Logical meaning / understanding
ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् , पूर्णमुदच्यते,
पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्णमेवाव शिष्यते।
ॐ शांति: शांति: शांतिः
यह मंत्र बृहदारण्यक उपनिषद के पांचवें अध्याय से है और ईशावास्योपनिषद का शांति पाठ है।
पूर्णमद: = पूर्णम (पूर्ण, अनंत, infinite) + अदः (वह- ईश्वर, ब्रह्म)
पूर्णमिदं = पूर्णम (पूर्ण, अनंत, infinite) + इदं (यह - ब्रम्हाण्ड, जगत)
पूर्णात् = पूर्ण से (ईश्वर से)
पूर्णमुदच्यते = पूर्णम + उदच्यते (उदय होना)
पूर्णस्य = पूर्ण में से
पूर्णमादाय = पूर्णम + अदाय (अदा करना, घटाना, निकालना)
पूर्णमेवाव शिष्यते = पूर्णम +एव + शिष्यते (शेष बचना)
वह (ब्रह्म) पूर्ण है, यह (जगत्) भी पूर्ण है । (उस) पूर्ण ब्रह्म से ही यह पूर्ण विश्र्व प्रादुर्भूत हुआ है । उस पूर्ण ब्रह्म में से इस पूर्ण जगत् को निकाल लेने पर पूर्ण ब्रह्म ही शेष रहता है ।
यहाँ पूर्ण से पूर्ण निकाल देने पर भी पूर्ण बचना - थोड़ा अजीब लग सकता है। लेकिन यहाँ पूर्ण से तात्पर्य 1)अनंत या अथाह से है या 2) गुणात्मक तात्पर्य है।
अनंत - अनंत = अनंत की संभावना एक सर्वमान्य गणितीय अवधारणा है।( ∞ - ∞ = ∞ )
और यदि गुणात्मक तौर पर देखें तो, पूर्ण परमात्मा से जो भी भी उत्पन्न होगा उसमें वह सारी पूर्णता होगी।