बेल के बाद भी नहीं रिहाई, क्या यही है 'सिस्टम' की कार्रवाई?
ग़ाज़ियाबाद जेल में क़ैद आफ़ताब को कोर्ट से बेल मिली लेकिन 28 दिन तक जेल से रिहाई नहीं मिली। यह भारत के तंत्र का वह चेहरा है जिसका सामना आपको कभी भी करना पड़ सकता है। आपातकाल को संविधान हत्या दिवस का नाम देकर क्या इस बात को नज़रंदाज़ किया जा सकता है कि आफ़ताब को बेल के बाद 28 दिन तक जेल में रहना पड़ा। कई-कई बार अदालतों ने पुलिस और प्रशासन को लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर लेक्चर दिया है मगर फिर भी ऐसे मामले बार-बार सामने आते हैं। एक नागरिक की स्वतंत्रता की छोटी सी ज़मीन पर सिस्टम का बुलडोज़र चला आता है।
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